Friday, March 29, 2024

बुधवार व्रत कथा

बुधवार व्रत कथा: हिन्दू धर्म के अनुसार बुधवार के दिन भगवान बुधदेव की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति भगवान बुधदेव की पूजा करते हैं उसके सभी दुख दूर होते हैं और

Budhvar Vrat Katha - DuniyaSamachar

नई दिल्ली : हिन्दू धर्म के अनुसार बुधवार के दिन भगवान बुधदेव की पूजा की जाती है। बुध ग्रह की शांति और सर्व-सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को बुधवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। बुधवार व्रत कथा से जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता। इससे अरिष्ट ग्रहों की शांति होती है। इस व्रत को करने से बुद्धि बढ़ती है।

जो व्यक्ति बुधवार के दिन नियमित रूप से भगवान बुधदेव की पूजा करते हैं उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कई जगह बुधवार के दिन गणेश जी के पूजा की जाती है। हालांकि बुधवार व्रत कथा पूर्णत: भगवान बुध पर आधारित है। भगवान बुधदेव को प्रसन्न करने के लिए आप भी बुधवार का व्रत कर रहे हैं, तो बुधवार व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें।

बुधवार व्रत कथा इस प्रकार से है-

एक समय की बात है एक नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह सुंदर और गुणवंती लडकी संगीता से हुआ था। एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए बुधवार के दिन ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा।

किंतु सास-ससुर तथा अन्य संबंधियों ने कहा कि- ‘बेटा, आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते। लेकिन मधुसूदन नहीं माना वह अपनी हठ पर अड़ा रहा। उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को नहीं मानने की बात कही। बहुत आग्रह करने पर संगीता के माता-पिता ने विवश होकर दोनों को विदा कर दिया।

दोनों ने बैलगाडी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाडी का एक पहिया टूट गया। वहाँ से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की। रास्ते में संगीता को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। मधुसूदन उसे एक पेड के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया। थोडी देर बाद जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई।

मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा- ‘तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- ‘अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?

मधुसूदन ने लगभग चीखते हुए कहा- ‘तुम जरूर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं इसे पेड के नीचे बैठाकर जल लेने गया था। इस पर उस व्यक्ति ने कहा- ‘अरे भाई! झूठ तो तुम बोल रहे हो। संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है। अब तुम चुपचाप यहाँ से चलते बनो। नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकडवा दूँगा।

जिसके बाद दोनों एक-दूसरे से लडने लगे। उन्हें लडते देख वहां बहुत से लोग एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए। सिपाही उन दोनों को पकडकर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया। राजा ने संगीता से भी पुछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? लेकिन उसकी पत्नी भी चुप रही क्योंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी।

जिसके बाद राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा। राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा। उसने ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला “हे भगवान, यह क्या लीला है?” तभी आकाशवाणी हुई- ‘मधुसूदन! आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।

मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि ‘हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बडी गलती हुई। भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूँगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूँगा। मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए। भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया।

कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाडी मिल गई। बैलगाडी का टूटा हुआ पहिया भी जुडा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर अपने घर की ओर चल दिए। इसके पश्चात मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों नियमपूर्वक बुधवार को व्रत करते हुए आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे। भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी। जो व्यक्ति बुधवार व्रत कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुषों के जीवन में सभी मंगलकामनाएँ पूरी होती हैं।

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Web Title: बुधवार व्रत कथा

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