Friday, April 5, 2024

कोरोना वायरस: जानें आइसोलेशन, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग में क्या है फर्क

कोरोना वायरस के अलावा क्वारंटाइन, आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग की बात तो सब कर रहे हैं, लेकिन क्या इसका मतलब मालुम है? इनके अलग-अलग मायने हैं, दूर करें भ्रम

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नई दिल्ली : कोरोना वायरस (Covid-19) इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा संकट है। कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से सारे देश परेशान है। एक सूक्ष्म जीव ने सभी महाशक्तियों को घुटनों पर ला दिया है।

इस बीमारी के सामने आने के साथ ही इससे बचाव की कोशिश भी जारी है। लेकिन अभी भी इस कोविड-19 वायरस का इलाज नहीं खोजा जा सका है और वैक्सिन (Vaccine) को बनने में कुछ समय लगेगा। सभी डॉक्टर्स प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 24 घंटे सहयोग दे रहे है।

लेकिन इस वायरस से बचने के लिए डॉक्टरों के पास कुछ तरकीबें हैं। इन तरकीबों के ईर्द-गिर्द घूम रहे हैं तीन शब्द, जिसे पूरी दुनिया इस्तेमाल कर रही है। पहला है क्वारंटाइन (Quarantine), दूसरा है आइसोलेशन (Isolation) और तीसरा है सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing)।

इन तीनों शब्दों को कोरोना के संदर्भ में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन क्या आपको इन तीनों के बीच का फर्क (Difference) मालुम है? इन तीनों के अलग-अलग मायने हैं। वो क्या है, आज हम आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं। जोकि कोरोना से बचाव में बेहद कारगर है।

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Difference between isolation, quarantine and social distancing

1) क्या है क्वारंटाइन (Quarantine) का मतलब

दरअसल क्वारंटाइन शब्द की उत्पत्ति इटली से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है 40 दिन। इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 14वीं शताब्दी में किया गया था। तब एशिया और यूरोप में प्लेग की वजह से करीब 30 फीसदी आबादी की मौत हो गई थी। 1348 से 1359 के बीच करोड़ों लोग प्लेग की वजह से मर गए थे। इसके बाद अलग-अलग देशों ने दूसरे देश से आने वाले जहाजों और उस पर सवार लोगों पर 30 दिनों की रोक लगा दी।

जहाज समंदर के किनारे आते तो थे, लेकिन उन्हें शहर में दाखिल नहीं होने दिया जाता था। उस वक्त इस पीरियड को कहा जाता था ट्रेनटाइन। लेकिन इसके करीब 80 साल बाद ये पता चला कि प्लेग से बीमार किसी आदमी की मौत करीब 37 दिनों में हो जाती है। तो फिर इस पीरियड को बढ़ाकर 40 दिन कर दिया गया। और इसे कहा गया क्वारंटाइन (Quarantine)। यहीं से ये क्वारंटाइन शब्द चलन में आया। 40 दिनों की इस रोक से प्लेग के रोकथाम में काफी मदद मिली थी।

आपके लिए क्वारंटाइन (Quarantine) का क्या है मतलब

क्वारंटाइन का मतलब ये है कि अगर किसी भी शख्स में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं या फिर वो शख्स किसी कोरोना पीड़ित से सीधे संपर्क में आया है, तो उसे अस्पताल के अलग वॉर्ड में एडमिट किया जाता है। उसका हर रोज मेडिकल चेकअप होता है, उसका हेल्थ बुलेटिन जारी होता है। इसके अलावा उस आदमी से हॉस्पिटल के स्टाफ के अलावा और कोई नहीं मिल सकता है। क्वारंटाइन किए गए शख्स को हर वक्त मास्क (Mask) लगाना ज़रूरी होता है. उसके कपड़े, बर्तन सब अलग होते हैं, बेड, तौलिया, तकिया सब अलग होता है और कोई दूसरा उसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

या अगर आप घर में क्वारंटाइन (Quarantine) में है तो इसमें घर के एक कमरे में अलग रहना होता है। परिवार के किसी भी सदस्य से सीधा संपर्क नहीं रखा जाता है। उस कमरे में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जाए। बाथरूम नियमित तौर पर साफ हो। दूसरा व्यक्ति इसे इस्तेमाल न करें। उस व्यक्ति से छह फीट दूर रहना चाहिए। घर में अकेले हैं तो अपना जरूरी सामान किसी से मंगवाए। एक ही किचन है तो एक ही व्यक्ति वहां जाए। खुद इधर उधर या किचन में जानें से बचें। बार-बार साबुन से हाथ धुलते रहें। अपना कचरा इधर-उधर न फेंके। आपको बता दें भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन और हॉन्ग-कॉन्ग जैसे कई देशों में क्वारंटाइन को लेकर अलग-अलग कानून भी बने हैं।

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क्या है आइसोलेशन (Isolation) का मतलब

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