Thursday, March 28, 2024

श्री शीतला माता की आरती

शीतला माता की आरती : शीतला माता की आराधना करने से भक्त दैहिक और दैविक ताप से मुक्त हो जाता है। इनकी व्रत करने से संतान प्राप्ति तथा सौभाग्य प्राप्त होता है।

शीतला माता, Shitala Mata - DuniyaSamachar

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।

आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

हिन्दू धर्म के अनुसार शीतला माता के व्रत का महा महत्व है। पुत्री की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम कहा गया है। जो इनकी पूजा व आरती करता है वह दैहिक और दैविक ताप से मुक्त हो जाता है। इनकी व्रत करने से पुत्र प्राप्ति भी होती है तथा सौभाग्य प्राप्त होता है। शीतला माता की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए श्री शीतला माता की ये आरती

॥ मां शीतला की आरती ॥

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता।
ऋद्धिसिद्धि चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता॥
ऊँ जय शीतला माता …

जो भी ध्यान लगावैं प्रेम भक्ति लाता।
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

रोगन से जो पीडित कोई शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता।
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता॥
ऊँ जय शीतला माता …

शीतल करती जननी तुही है जग त्राता।
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता।
भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता॥
ऊँ जय शीतला माता …

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Web Title: श्री शीतला माता की आरती

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