Friday, March 29, 2024

हिंदी कहानी – गोनू झा की चतुराई, राजा को दिए खरबूजे

मिथिला में गोनू झा रहते थे वे बहुत ही चतुर और चालक थे। गोनू झा मिथिला के राजा के दरबारी थे। एक दिन मिथिला नरेश क‍ी सभा में उनके बचपन का मित्र आया था। नरेश उन्हें अपने अतिथि कक्ष में ले गए। उन्होंने अपने मित्र की खूब आवभगत की।

cleverness of gonu jha - Duniyasamachar

एक सुबह ‍जब मिथिला नरेश अपने मित्र के साथ बाग में टहल रहे थे तो फिर अचानक गोनू झा कई सेवकों के साथ आए। सबने मिथिला नरेश को प्रणाम किया। सेवकों के साथ लाए टोकने जमीन पर रख दिए। उसमें खरबूजे थे।

यह देख नरेश खुश हो उठे। उनके मित्र ने कहा कि आज वर्षों बाद इतने अच्छे खरबूजे देख रहा हूं। मिथिला नरेश ने सेवकों से छुरी और थाली लाने को कहा तो गोनू झा बोले- क्षमा करें महाराज, हमारे अतिथि ने कहा था कि वर्षों से खरबूजे नहीं देखे इसलिए ये खरबूजे खाने के लिए नहीं, देखने के लिए हैं।

गोनू झा ने कहा ये मिट्टी के बने हैं। नरेश सहित सभी दरबारी गोनू झा की चतुराई पर दंग रह गए। गोनू झा की चतुराई पर मित्र भी जोर-जोर से हंसा और उन्होंने कहा- वाह गोनू झा, समझो हमने खरबूजे देखे ही नहीं, खा ‍भी लिए।

इसके बाद मि‍थिला नरेश ने गोनू झा को उनकी चतुराई के लिए ढेर सारा इनाम देते हुए उनको शाबाशी दी कि तुम सचमुच इस दरबार के अनमोल रत्न हो, तुम्हारी सूझबूझ से आज मेरे मित्र की इच्‍छा पूरी हो सकी।

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